हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,फंदेड़ी सादात वेलफ़ेयर कमेटी के तहत इमामबाड़ा पंजती में आयोजित तीन दिवसीय फ़ातिमी अज़ादारी के मौके पर, वली-ए-फ़क़ीह के प्रतिनिधि आगा अब्दुल मजीद हकीम इलाही के मुबारक हाथों से इस किताब का शानदार और गरिमामयी लोकार्पण किया गया।
ईरान कल्चर हाउस, नई दिल्ली के इंटरनेशनल नूर माइक्रो फ़िल्म सेंटर के सहयोग से तैयार की गई ऐतिहासिक और ज्ञानवर्धक किताब "तारीख़-ए-फंदेरी सादात" (लेखक: मौलाना सैयद रज़ी हैदर फंदेरी) का तहज़ीबी और अनुशासित लोकार्पण समारोह 23 नवम्बर 2025, रविवार को इमामबाड़ा पंजतनी, फंदेरी सादात में निहायत शान से सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत कुरआन शरीफ़ की तिलावत से हुई। उसके बाद मौलाना अमीर रज़ा साहब ने बीबी फ़ातिमा ज़हरा سلام اللہ علیہا की शान में नात/मदह्त पेश की।
इसके पश्चात हाजी ज़ुल्फ़िकार बाक़िर ने एक शेर पढ़कर लोकार्पण समारोह की औपचारिक शुरुआत की।उसके तुरंत बाद वली-ए-फ़क़ीह के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन डॉक्टर अब्दुल मजीद हकीम इलाही और मौजूद कई सम्मानित उलेमा के हाथों से किताब की रौनुमाई सम्पन्न हुई।
अपने उद्देश्यपूर्ण और प्रभावशाली भाषण में आगा हकीम इलाही ने किताब की अहमियत, लेखक की मेहनत, उनकी शोध, और फंदेरी सादात की इल्मी व तारीखी विरासत पर विस्तार से प्रकाश डाला। भाषण के दौरान उन्होंने किताब को हाथ में उठाकर उसकी शोध-गहराई और महत्वपूर्ण मुकाम को भी उजागर किया।
डॉ. महदी ख़्वाजा परी (डायरेक्टर, इंटरनेशनल नूर माइक्रोफ़िल्म सेंटर नूर) की निगरानी में तैयार की गई इस किताब में मौलाना सैयद रज़ी हैदर फंदेरी ने वर्षों की कड़ी मेहनत, भरोसेमंद स्रोतों और मजबूत शोध के आधार पर फंदेरी सादात का संपूर्ण इतिहास दर्ज किया है। इसमें—
बस्ती के सामाजिक, शैक्षिक और धार्मिक विकास,
पुराने और नए समय के दस्तावेज़,
विद्वानों, बुद्धिजीवियों, डॉक्टरों, इंजीनियरों, प्रोफेसरों और विभिन्न अन्य प्रतिष्ठित हस्तियों के जीवन-परिचय,
जैसी अनेक महत्वपूर्ण जानकारी शामिल हैं।
इस अवसर पर मौलाना मोहसिन (प्रधानाचार्य, वसीक़ा अरबी कॉलेज, फ़ैज़ाबाद) ने इस किताब को लेखक का अत्यंत महान और मूल्यवान वैज्ञानिक व धार्मिक योगदान बताया।
हाजी ज़ुल्फ़िकार बाक़िर ने नूर माइक्रोफ़िल्म सेंटर के उद्देश्य, उसके मिशन और इसके अंतर्गत चल रहे अन्य ऐतिहासिक प्रोजेक्ट्स का परिचय दिया।मौलाना सैयद रज़ी ज़ैदी ने इतिहास को सुरक्षित रखने और आने वाली पीढ़ी तक पहुँचाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
मौलाना डॉ. शहवार हुसैन नक़वी ने कहा कि इतिहास किसी भी समाज की सामूहिक याददाश्त होता है और उसका संरक्षण किसी भी क़ौम के लिए अनिवार्य है।
इस अवसर पर फंदेरी सादात वेलफ़ेयर कमेटी का विशेष धन्यवाद किया गया कि उन्होंने इस महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और शोध-आधारित किताब के लोकार्पण को तीन दिवसीय फ़ातिमी अज़ादारी जैसे पवित्र और आध्यात्मिक कार्यक्रम کا हिस्सा बनाकर इस समारोह की गरिमा को कई गुना बढ़ा दिया।कमेटी की दूरदर्शिता और बेहतर प्रबंधन की उपस्थित जनसमूह ने अत्यधिक सराहना की।
समारोह में अनेक प्रतिष्ठित उलेमा और फ़ज़ला मौजूद रहे, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल थे:मौलाना तकी (ईरान कल्चर हाउस, दिल्ली), मौलाना मोहसिन, मौलाना काज़िम सरसवी, मौलाना ज़मीर जाफ़री, मौलाना मोहसिन (मदरस़ा बैतुल इल्म के निदेशक), मौलाना इजाज़ हुसैन, मौलाना इसरार मर्तज़वी, मौलाना मौस्सिर ज़ैदी, मौलाना ज़हीर हैदर, मौलाना नासिर अब्बास ज़ैदी, मौलाना मोहम्मद हुसैन, मौलाना हुसैन अब्बास, मौलाना मोहम्मद जाफ़र, मौलाना इक़बाल महदी और अन्य सम्मानित गणमान्य व्यक्ति।
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